सिंघाड़ा
इसकी बेल होती है जो तालावों , पोखरों में फैली होती है। यह हरे मोटे छिलके वाला अन्दर से सफेद फल वाला स्वाद में हल्का मीठा होता है। यह कच्चा या उवालकर खाया जाता है।
लाभ व उपचार
मर्दाना कमजोरी में
शीघ्र पतन या वीर्य पतला हो गया हो तो सिंघाड़े को सुखाकर वारीक कूट पीसकर एक बड़ा चम्मच सुबह गाय के दूध के साथ सेवन करने से मर्दाना कमजोरी दूर होती है व वीर्य गाड़ा हो जाता है।
दाद , खाज , खुजली में
सिंघाड़े का निरन्तर सेवन करने से आराम मिलता है।
प्रदर रोग में
सूखे सिंघाड़े को पीसकर हलुवा बनावें। इस हलुवे को कम से कम 30 दिन तक खाने से प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
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