रविवार, 30 अप्रैल 2023

खीरा

 खीरा 

खीरा शरीर में बढ़ रही गर्मी व बढ़ी हुयी चर्बी को कम करता है। 

शुगर में 

खीरे के रस में नींबू तथा काला नमक मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीने से यह रोग कम हो जाता है। 

पथरी में 

250 ग्राम खीरे का रस दिन 2 बार पीने से पथरी दूर हो जाती है। 

पेशाब की जलन में 

जब अधिक गर्मी के कारण पेशाब पीला आने लगता है या पेशाब में जलन होती है तो सुबह उठते ही एक छोटा ग्लास खीरे का रस नींबू मिलाकर पीना चाहिए। 

पेट की गैस व पित्त रोग में 

अधिक से अधिक खीरा नींबू डालकर खाना लाभ प्रद है। 


बुधवार, 26 अप्रैल 2023

जड़ीबूटी एक परिचय

 जड़ीबूटी एक परिचय 

हमें जो बातें जड़ीबूटी के बारे में जाननी चाहिए वह इस प्रकार है। 
  • उनकी पहचान 
  • सही मात्रा 
  • उचित मिश्रण 
  • वह कहाँ से प्राप्त होंगी ?
हमारी प्राचीन जड़ी बूटियाँ जहाँ जीवनदायिनी हैं , वहाँ हानिकारक भी कम नहीं है। इनका गलत प्रयोग रोगी को मौत के मुँह में भी ले जा सकता है। यह जड़ी बूटियाँ प्राकृतिक सम्पदा है। इनको प्राप्त करना , इन तक पहुँचना कोई सरल कार्य नहीं है , अतएव इस दिशा में पूरी लगन के साथ बढ़ें।  अगर एक बार आपने सही जड़ी बूटी प्राप्त कर ली , तब परिणाम निश्चय ही चमत्कारी होंगे तथा आपको जटिल से जटिल रोगों को समाप्त करने में सफलता मिलेगी। 

जड़ी बूटियों का ज्ञान होने के चार साधनों का उल्लेख 
  1. संयोग 
  2. देवयोग 
  3. गुप्त  संकेतों द्वारा 
  4. पशु पक्षियों के द्वारा 

जड़ी बूटी उखाड़ने का समय 

बूटियाँ कब उखाड़ी जायें यह जानना अत्यन्त आवश्यक है। प्रायः मैंने देखा है , जिसका जब मन हुआ या जब आवश्यकता पड़ी उखाड़ ली जड़ी बूटी। यह सर्वथा गलत है। जड़ी बूटियाँ उखाड़ने का उत्तम समय प्रातः काल की बेला है , उस समय बूटियाँ सशक्त होती हैं। परन्तु स्मरण रखें कि कुछ जड़ी बूटियाँ सायंकाल में भी उखाड़ी जाती हैं। बूटी  उखाड़ने से पहले यह जानलें कि जड़ी बूटियाँ कब उखाड़ी जायें ?

इस भौतिक संसार में हर वस्तु तीन अवस्थाओं में होती है :-
1. शिशु काल     2. यौवन काल     3. वृद्धावस्था। 
इसी प्रकार वनस्पतियाँ भी तीन अवस्थाओं में होती हैं। जड़ी बूटियाँ इसका अपवाद नहीं है। अतएव हमारे ऋषि -मुनियों का मत है कि वनस्पति सदैव शिशु काल में ही उखाड़ी जानी चाहिए। यौवन काल में जड़ी बूटियों की शक्ति कम हो जाती है और वृद्धावस्था में तो वह एकदम बेकार सिद्ध होती है। 

जड़ी बूटियाँ लाने का नियम 

सृष्टि का यह नियम है कि बिना बुलाये पहुँच जाने पर कभी किसी का सम्मान नहीं होता है। इसी प्रकार जड़ी बूटियों से पर्याप्त लाभ उठाने के लिये उनको पहले न्यौंतना (निमन्त्रण देना )पड़ता है।  निमन्त्रण देने के बाद उनको आदर सहित लाया जाता है। 

जिस वनस्पति को लाना है। एक दिन पहले उस वनस्पति के समक्ष जावें और आदर सहित कहें , "कल मैं आपको इस कार्य के लिये लेने आऊँगा। आप मेरे साथ चलने के लिये तैयार रहें। " इसके बाद धूप , दीप , अगरबत्ती जलाकर प्रणाम कर चले आवें। 

अब अगले दिन प्रातः काल उस वनस्पति के समक्ष जावें , प्रणाम करें , गुरु का स्मरण करें और निम्न मंत्र को सात बार बोलें :- मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा। "

अब से वनस्पति के सात चक्कर लगावें। इसके बाद वनस्पति को उखाड़ कर ले जावें। इस क्रिया के प्रभाव से जड़ी बूटी अपना पूरा प्रभाव दिखायेगी। 

दाऊदी पीले फूल वाली

दाऊदी पीले फूल वाली   पीले फूल की दाऊदी के पत्ते पीस कर गाय के मट्ठा में उवाल लें। फिर और उसको जहर बाद के ऊपर बाँधे तो पांच छः दिन में फोंड़ा...